What are the benefits of turmeric? हल्दी के क्या-क्या फायदे होते हैं

हल्दी के क्या-क्या फायदे होते हैं आईए जानते हैं ;-हल्दी इसका आकार भी अदरक जैसा होता है पौधों की एक-एक फीट की चोड़ी पत्तियां होती है। पीले रंग के फूल वर्ष के दिनों में बड़े सुनाने लगते हैं। हल्दी के चरण का उबटन किया जाता है। दाल साफ कोपिला रंग देने के लिए हल्दी डालना शोभा भी बढ़ती है सुगंध भी देती है और गुणकारी भी होती है।

हल्दी के फायदे और उसका उपयोग:- 

1) खास ,खुजली, फुंसी आदि में इसका सेवन उपयोगी रहता है।

2) गहरी चोट  लग जाने पर इसका चूर्ण दूध में उपयोग करके मरीज को पिलाया जाता है जिससे मरीज को काफी राहत मिलती है।

3) अलसी तेल नमक और हल्दी की पुटली बनाकर सूजन ‘और दर्द एवं चोट वाले स्थानों की सिकाई की जाती है।

4) हल्दी रक्त शोधक भी है हल्दी को दूध के साथ मिक्स करके गर्म करके भी पिया जा सकता है जिससे रक्त की सफाई होती है ।

5) शरीर पर फुंसियां पित्त उछलनेऔर चट्टे दाद खाज मे शहद के साथ हल्दी को मिलाकर चटाते राहत मिलती है।

6) पेट में कृमि पड़ने पर हल्दी का क्वाथा बनाकर पिलाया जाता है।

7) हल्दी को देसी गुड़ में मिलाकर उसकी गोलिया बनाई जाए और रोगियों को खिलाया जाए कब को दूर किया जा सकता है। गोली को चबा चबा कर खाइये आधे घंटे तक पानी नहीं पीना है

8) खांसी आने पर हल्दी के टुकड़े मुंह में पड़े रहने दीजिए और इन्हें धीरे-धीरे चूसते रहिए तो लाभ होता है।

9) जुखाम , सर्दी, सर दर्द, में गर्म दूध के साथ हल्दी  का उपयोग करने से बहुत लाभ होता हैं।

10) चेहरे पर दाग धब्बे कील मुंहासे हो गए हो तो बेसन के साथ हल्दी को मिलाकर लेप लगाने से सारे दूर हो जाते हैं।

आईए जानते की हल्दी के क्या-क्या लाभ होते हैं। और इसका उपयोग कैसे करें इसको परिपूर्ण तरीके से आपको समझाया जाता है।

आयुर्वेद के अनुसार हल्दी  उष्ण सौंदर्य बढ़ाने वाली रक्त शोधक  कप पित नाशक पित्त शामक एवं लीवर के लिए उत्तेजक मानी गई है। सर्दी लगने पर हल्दी की धूनी दी जाती है। सर दर्द व साइनसाइटिस मैं हल्दी गुनगुने जल के साथ लेने से बॉलखम निकलता वा सर हल्का होता है। मूत्र रोग में इसका  काडा बहुत आराम देता है। आंखों के दुखने पर एक तोला हल्दी एक पाव पानी में  ओटा  कर कपड़े से छानकर आंखों में टपकते हैं,तो लाली जल्दी मिटती है। प्रेमेह  में हल्दी के चूरन को आवला के रस के साथ देते हैं इसका प्रयोग मात्र किसी भी रोगों में दो मन से से अधिक नहीं होना चाहिए अनुपान प्रिंस: गुनगुना जल ,दूध मधु होता हैं।

 

प्रकृति के द्वारा इतना अनमोल खजाना जो हमें मिला है इसका उपयोग हम सहभाविक तरीके से करते हैं अनेक प्रकार से हम लोग हल्दी का उपयोग कर सकते हैं एक प्रकार से देखा जाए तो हल्दी एक हमारे लिए रत्न है जो कि हमारे शरीर को शुद्ध करने में इसका बहुत महत्वपूर्ण प्रयोग है।

हल्दी के बारे में कुछ ध्यान देने योग्य बातें

बाजार में कई प्रकार की हल्दी मिलती है जिसमें कुछ हल्दी एक होती है जिसमें ऊपर से कलर लगा दिया जाता है जो हमारे शरीर के लिए काफी हानिकारक है ऐसी केमिकल वाली हल्दी से पहले ही दूर रहे प्राकृतिक द्वारा जो हल्दी हमें मिली है उसी का उपयोग करें खेतों में हल्दी उगाए या खेतों की ताजी हल्दी का ही उपयोग करें घर पर लाकर सुखाय और उसे पीसकर पाउडर बनाकर रखें ताकि हमारे शरीर को किसी प्रकार की हनी ना हो

काली हल्दी  सामान्य हिंदी के पत्तों की तरह इसके पत्ते होते हैं इन पत्तों के मध्य में काली धारियाँ होने से काली हल्दी का पौधा पहचाना जा सकता है। यह एक वर्षीय पौधा जिसका कंद सुगंधित दुश्रित वर्ण का एक चक्राकार कड़ो से युक्त होता हैं। यह कंद अदरक से धूसर  नील वर्ण का अत्यंत कादा एवं   श्रंग के समान होता है इसकी सुगंध कपूर के समान होती हैं। काली हल्दी का यह पौधा अमरकंटक एवं पटल लोक कोर्ट में पाया जाता हैं। इसका अधिक दोहन होने के कारण यह प्राकृतिक रूप से नष्ट होती  जा रहा है इसका उपयोग सामान्य कैसे करते हैं अभी हम आपको बताएंगे।

काली हल्दी के औषधीय गुण:-

सौंदर्य प्रसारण में इसका उपयोग त्वचा को निखारने में किया जाता है। एवं काली हल्दी के पेस्ट से शरीर की बदबू और पसीने को दूर किया जाता है चेहरे पर लगाने से कील मुंहासे डाक आदि समस्याओं को दूर किया जाता है। आदिवासी लोगों के द्वारा इसका उपयोग जड़ी बूटी के रूप में  रोगों को निवारण के लिए किया जाता हैं। चोट, मोच ,अंदरूनी चोट ,तथा दमा के उपाय के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। लोगों का यह भी मानना है कि इसका कंद जिसके भी पास होता है उसे कभी धन की कमी महसूस नहीं होती है। इसे कपूर का स्रोत माना गया है प्राकृतिक के अनुसार इसकी सुगंध बहुत अच्छी होती है।

ध्यान दे

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