हडजोड़ अथवा अस्थि श्रृंखला के फायदे hadjod athava asthi shrinkhala ke fayde

हडजोड़ का साधारण परिचय  :-  लता जाति कि यह वनोंषधि प्राय: उष्ण  प्रदेशों में अधिक होती हैं। यह लता अन्य लताओं की तरह वर्षों के साथ ना लिपटकर केवल  वृक्ष का सहारा लेकर चढ़ती है तथा लटकती रहती है इसका  कड़ी हरा मांसल बीच-बीच में संधिया युक्त तथा चोपहल होता हैं।  संधियों पर सूत्र होते हैं तथा सूत्रों में विपरीत संधियों पर  पत्ते निकलते  हैं  इसके पत्ते चौड़े हृदय कार दंतुर  तथा मांसल होते हैं। श्वेत हरित वर्णित पुष्प फल गोल भारी पकाने पर लाल रंग के हो जाते हैं इसके पत्ते तथा कांड रस युक्त होता है इसके ताजा पौधे मे कैरोटीन ताजा स्वरस में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है इसके पत्तों तथा कांड का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता हैं।

विभिन्न भाषाओं में नाम :-  गुजराती -हाड सांकल ,मराठी – कांडबेल ,बंगाली -हाडभागा, कन्नड़  – मंगवल्ली,  तेलुगू – नेल्लेरू, तमिल – पेरंडै

                                                                                               हडजोड़ अथवा अस्थि श्रृंखला के फायदे

औषधी उपयोग :- 


टूटी हुई हड्डियों को जोड़ना :-  प्रायः इसके ताजे  कांड एवं पत्तों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।  इसको काटकर इसका लेप टूटी हड्डी को जोड़ने के लिए किया जाता है यह प्रत्येक प्रभावशाली होता है। इसके पत्तों तथा कांड से सिद्ध किया हुआतेल भी टूटी हुई हड्डियों को जोड़ने के लिए प्रभावी पाया  गया है। इस तेल की मालिश करने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है।

पेट के विकारों को दूर :- 

हाथ जोड़ के इस्तेमाल से पेट से जुड़े विकारों को दूर कर किया जाता है अक्सर हम में से कई लोग को मसालेदार खाना खाने की आदत होती है और समय खाना खाने से पेट में गैस और अपहचन जैसी अनेक समस्या होने लगती हैं। इन समस्याओं को ठीक करने के लिए आप हाथ जोड़ की मदद ले सकते हैं। घरेलू उपचार कर सकते हैं इसके लिए हाथ जोड़ के पत्तों से करीब 5 से 10 मिली रस निकाल लीजिए अब इस वर्ष में थोड़ा सा शहद मिक्स करके पी जाइए इससे पाचन क्रिया ठीक होती है साथ-साथ पेट से जुड़ी आने की समस्याओं को आराम मिलता हैं।

पित्त दोष के संतुलन के कारण पेट खराब हो सकता है जिससे पाचन कमजोर या खराब हो जाता है और हड़जोड़ अग्रि को बढ़ाता है और पाचन में सुधार करता है जिससे इसके  उष्णा   पाचन गुना के कारण पेट की खराबी  के लक्षण काम हो जाते हैं।

घाव मे असरदार :- हडजोड़ घाव को सुखाने में असरदार हो  सकता है अगर आपको किसी कीट के काटने पर घाव हो जाता है तो उसे स्थान पर हडजोड़ का रस लागिये इससे घाव जल्दी ठीक हो जाता हैं।

गठिया के दर्द में आराम :- बढ़ती उम्र के कारण कई लोगों को गठिया की परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।  लेकिन आपको बता दे की गाड़ियों की परेशानियों से राहत मिलती है

उपयोग –  हडजोड़ का एक भाग  छिल्का रहित तना ले अब इसमें उड़द  की दाल  के साथ पिस ले  और तिल के तेल में मिला ले और इसकी वाटिका बना ले इस वाटिका का सेवन करने से वात रोग से लाभ मिलता हैं। लगभग 15 दिन तक इसका सेवन करने से   गठिया की समस्या से आराम मिल सकता  हैं।

गठिया जिसमें  आयुर्वेद में वात रक्त के नाम से जाना जाता हैं। एक विकार है जिसमें व्यक्ति  के  जोड़ों में लालिमा सूजन और सबसे महत्वपूर्ण दर्द का अनुभव होता है यह सभी लक्षण वाद दोष के असंतुलन के कारण होते हैं जो रक्त धातु को और अधिक असंतुलित कर देता है हडजोड़ घटिया के लक्षणों को कम करने में मदद करता है और अपने बात संतुलन और उष्णा  (गर्म)  गुना के कारण प्रभावित दर्द वाले क्षेत्र को गर्मी प्रदान करता हैं।

हडजोड़ अपने एंटीऑक्सीडेट और सूजन रोधी गुना के कारण रूमेंटीइड गठिया के लक्षणों को  प्रतिबंधित करने में मदद कर सकता है हडजोड़ में मौजूद कुछ घटक एक सुजान करी प्रोटीन की गतिविधि को रोकते हैं इसमें गठिया से जुड़े जोड़ों के दर्द और सूजन में कमी आती हैं।

रूमेटॉइड  अर्थराइटिस जिसे आयुर्वेद में अमावस के नाम से जाना जाता हैं। एक ऐसी बीमारी है जिसमें वत दोष बिगड़ जाता है और जोड़ों में अमा जमा हो जाता हैं। आमवात कमजोर पाचन अग्रि से शुरू होता है जिसमें अमा का संचय होता हैं। (अनुचित पाचन के कारण शरीर में विषाक्त अवशेष रहता है ) वात के माध्यम से अमा को विभिन्न स्थानों पर ले जाया जाता हैं।  लेकिन अब उसे अवशोषित होने के बजाय यह जोड़ों में जमा हो जाता हैं। और रूमेटाॅइड  गठिया को जन्म देता हैं। हडजोड़ पाचन में सुधार करने में मदद करता है जो अपने वात संतुलन और पचन गुणों के कारण आम के गठन को रोकता हैं।  जिसमें रूमेंटोइड गठिया के लक्षण काम हो जाते हैं।

ब्लडिंग को कम करें  :- अगर आपके शरीर में कटने या फिर छीलने की वजह से काफी ज्यादा ब्लडिंग हो रही हो तो इस स्थिति में हडजोड़  आपके लिए गुणकारी हो सकता हैं। इसके लिए हडजोड़ के तनो या जड़ से रस निकाल ले अब इस रस को अपने प्रभावित हिस्से पर लगाएं  इससे रक्त स्राव की शिकायत दूर

हडजोड़ के  नुकसान :-  हाथ जोड़ स्वास्थ्य के लिए गुणकारी हो सकता है यह विषैली जड़ी बूटी नहीं है लेकिन इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से जरूरी सलाह ले गर्भ अवस्था स्तनपान हाई ब्लड प्रेशर डायबिटीज से लोगों को इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।  खाली पेट इसका सेवन करने से बचे । इसके कारण आपको  उल्टी मतली की शिकायत हो सकती है। अधिक मात्रा में हडजोड़ का सेवन करने से  बचे और बिना डॉक्टर की सलाह के इसका सेवन करने से आपको कई समस्या हो सकती है जैसे

पित्त को बढ़ावा देने वाली समस्याएं ,एसिडिटी, दिल की धड़कन तेज ,होना पेट में सूजन हाथ पैर में जलन अल्सर और छाले हो है तो भी इसका सेवन न करें

हडजोड़ की खेती :- प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले या उद्यानों में वृक्ष के सहारे लटकते या लता रूपी वनस्पति औषधि के रूप में अधिक उपयोगी होने के कारण इसकी खेती भी लाभकारी साबित हो सकती है इसकी खेती की विधि आसान है खेती के लिए हडजोड़ के पुराने कांड में से कलम काटकर खेत में या नए स्थान पर उद्यानों में वाटिकाओं के सहारे पेड़ के सहारे के लिए वृक्ष के पास रुपए कर देनी चाहिए  इसकी बढ़ाने की गति तेज होती है तथा थोड़े ही समय में बड़ा स्वरूप धारण कर लेती है इसकी खेती मुडेरो पर भी लगाई जा सकती है।

 

 

 

 

एलोवेरा से क्या होता है What happens with aloe vera?

एलोवेरा( घृतकुमारी ) : तुलसी गिलोय की तरह यद्यपि एलोवेरा जिसे घी कुवार भी कहते हैं।  मसाला तो नहीं है पर आंगनबाड़ी लगाते समय इसे भी लगा देना चाहिए अपने ढंग की घरेलू दवा तो है ही उसकी प्राकृतिक गर्म मानी जात जाती है एवं शक्ति वर्धक भी सामान्य उपयोग में इसका गूदा ही आता है जो  छिलके के साथ मजबूती से चिपका रहता है। इसे चाकू से ही अलग करना पड़ता हैं। घी तेल में डालकर मसाले डालकर इसे शाक कि तरह भी खाया जा सकता है। और घी आटे  में मिलाकर लड्डू कतली भी बना सकते हैं इसे आहार की तरह सीमित मात्रा में उपयोग किया जा सकता है प्रवास के उपरांत जनानी को भी पेट की सफाई के लिए खिलाया जाता हैं। पेट के रोगों में विशेष रूप से काम आता है उसकी  पुलिस्ट दुखाने वाले स्थान पर बांधी  दी जाती है।  पेट दर्द सिर दर्द आदि में इसकी लुगदी बांध देने से फायदा होता हैं। अपने एलोवेरा का बहुत नाम सुना होगा और यह भी सुना होगा की एलोवेरा को औषधि की तरह इस्तेमाल किया जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एलोवेरा के औषधीय गुण क्या क्या है क्या आपको पता है कि किस-किस रोग में एलोवेरा के इस्तेमाल से लाभ मिलता हैं। आयुर्वेदिक में एलोवेरा के फायदे के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई है कई प्रकार से एलोवेरा का उपयोग  किया जाता है ऐसी कई सारी बीमारियां है जो एलोवेरा से ठीक की जाती हैं।

एलोवेरा क्या है : 

एलोरा का पौधा छोटा होता है इसके पत्ते मोटे गोरेदार होते हैं पत्ते चारों तरफ लगे होते हैं। एलोवेरा के पत्तों के आगे का भाग नोकीला  होता है इसके किनारो पर हल्के  हल्के के कांटे होते हैं पत्तों के बीच से फुलो का गुलदस्ता  निकलता है  होता है जिस पर पीले रंग के फूल लगे होते हैं हरे कलर के पत्ते होते हैं लंबे-लंबे और इसके अंदर सफेद कलर का एक परत जमी होती है भारत के अलग-अलग देश में एलोवेरा की कई प्रजाति पाई जाती है मुख्यतः दो प्रजातियों का चिकित्सा में विशेष तौर पर प्रयोग किया जाता है एलोवेरा और पितापुष्पा कुमारी आदि ।

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अन्य भाषाओं मे एलोवेरा के नाम :

* हिंदी मे – घीकुआर   ग्वारपाठा

* संस्कृत – कुमारी ग्रहकन्या कन्या घृतकुमारी

* कन्नड़ – लोलिसार

* गुजराती – कुंवर कड़वी कुवार

* बंगाली – घ्रतकुमारि

* पंजाबी – कोगर  कोरवा

* मराठी – कोरफाड़  कोरकांड

* फारसी दरख्ते सिब

* इंग्लिश – इंडियन एलो

*  लैटिन  – एलोवेरा

एलोवेरा के औषधीय गुण  


फेफड़ों की सूजन स्वास्थ्य : फेफड़ों की सूजन स्वास्थ्य रोग तिल्ली जिगर तथा गुर्दों की बीमारी में इसका उपयुक्त लाभकारी है।

मज्जावर्धन कामोत्तेजना : घी कुंवर के रस को सुखाकर एक पदार्थ बनाया जाता है जिससे एलुआ या मुसबार कहते हैं वह नरम वह पारदर्शी होता है। मज्जावर्धन कामोत्तेजना  देने वाला  कृमि नाशक एवं विष  निवारक माना गया है।

माल शोध : सारे शरीर के माल शोधन  हेतु घीकुवार एक श्रेष्ठ औषधि मानी जाती हैं। जठराग्नि को यह प्रदीप करता है एवं हर प्रकार की खासी, लीवर के रोग में आराम पहुंचता हैं।

चर्म रोग : यह चर्म रोग में भी आराम पहुंचता है चर्म रोगों में यह रक्त शोधन की भूमिका निभाता हैं।

आँत और उत्तर गुदा : पेट में इसकी प्रधान क्रिया बड़ी आंत एवं उत्तर गुदा (एनोरेक्टल जक्सन ) पर होती है घी कुवार का गुड़ा 6 मांस मिलाकर खाने से वायु गोले से हुआ पेट दर्द मिट जाता हैं। रक्त प्रदर श्वेत प्रदर एवं हर प्रकार के प्रजनन अंगों की बीमारियों में प्रयोग लाभकारी हैं।

मासिक धर्म के समय : रजोरोध रहोने पर मासिक धर्म के समय से एक सप्ताह पूर्व इसका सेवन आरंभ कर देना चाहिए ।

पत्र का स्वरस माता में  19 से 20 मिली लीटर (दो से चार छोटे चम्मच) एवं एलवा चूर्ण 1/2 ग्राम तक की मात्रा में देते हैं अधिक मात्रा में देने पर मरोड़ के साथ दस्त आने लगते हैं अतः मात्र का ध्यान हर स्थिति में रखना चाहिए विशेष रूप से सुख अलावा चरण के संबंध में ।

स्क्रीन के लिए फायदेमंद : एलोवेरा में ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो प्रदूषण ,धूप, धूल के कारण होने वाली त्वचा की समस्याओं से दूर रखने में मदद करता हैं। इसके जेल को चेहरे पर लगाने से कील मुंहासे, पिंपल्स दाग धब्बे से छुटकारा मिलता हैं। पानी की 99% मंत्र एक्स्ट्रा जेल की तरह काम करती हैं। और साथ ही बॉडी को हाइड्रेट भी रखती है चेहरे पर रोजाना इसका जेल लगाने से कुछ ही दिनों में आपकी कोमल त्वचा हो जाती है और साथ ही स्किन इन्फेक्शन का भी खतरा नहीं रहता है एलोवेरा त्वचा लंबे समय के लिए बढ़िया रहती हैं।

 

 

 

 

 

हींग का उपयोग कैसे करें How to use asafoetida

 

 हींग वस्तुतः एक वृक्ष का दूध है, जो जमकर गोंद की शक्ल ले लेता है। भारत में या ईरान से आती है। इससे उग्रगंधा या सहस्त्र वेधि भी कहा रहते हैं।हींग एक ऐसा पौधा है जिसकी गंध बहुत ही तीखी होती है और इसका स्वाद कड़वा होता है। लेकिन घर में और दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला हींग, हींग के पौधे पर फल, फूल या छाल से प्राप्त नहीं होता ब्लकि हींग के पौधे की ऊपरी जड़ो से निकलने वाले  दूध से तैयार किया जाता है। यह रस या दूध हींग के पौधे की जीवित जड़ों में लगाए गए कट से निकलता है जिसे इकठ्ठा कर हींग का उत्पादन किया जाता है।

काली भूरी तीखी गंध वाली हींग सर्वश्रेष्ठ मानी गई हैं। यह छोक आदि में भोजन में बड़े व्यापक के स्तर पर प्रयोग की जाती हैं

हींग का उपयोग कैसे करें 


 

आयुर्वेदाचार्य के अनुसार  हींग :- पेट की अग्नि को बढ़ाने वाली अमाशय वह  हाथ आंतो के लिए उत्तेजक पित्तवर्धन माल बांधने वाली खांसी , कप ,अफरा मिटाने वाली एवं हृदय से संबंधित छाती के दर्द व पेट के दर्द को मिटाने वाली एक परीक्षित औषधि हैं।

कृमि रोग : इसे अजीण  एवं कर्मी रोग में भी उपयोग किया जाता हैं।

लिवर शक्ति : लिवर को यह शक्ति देता है एवं मस्तिष्किया  की विकारों में भी इसका प्रभाव देखा गया है।

श्वास नलिका : हींग को देने से स्वास नलिका में जमा कब पतला होकर निकल जाता हैं।

पेट का फूलना : हींग को शुद्ध करके लिया जाता हैं। लोहे के पत्र में घी डालकर गर्म करते हैं। लाल होने पर उतार देते हैं पेट का फूलना, दर्द ,अपचयन एवं कृमि रोग में हींग दो से तीन रत्ती तक की मात्रा में अजवाइन व  घीकुवार के गूदे के साथ देते हैं।

आंतों में अल्सर : आंतों में  अल्सर होने पर इसके पानी का एनिमल भी दिया जाता है।  जिसे आसानी से अल्सर के रोगों को ठीक किया जा सकता हैं।

मलेरिया रोग : मलेरिया ज्वर में हींग वह कपूर की मिली हुई बाटी दी जाती है। एक तोला हींग  व एक तोला कपूर इन दोनों को शहर में  घोट कर रत्ती रत्ती  भर की गोलियां बना कर दी जाना चाहिए जिससे मलेरिया  रोगों को बढ़ि जल्दी से ठीक किया जा सकता है।

सन्नीपात स्थिति: ज्वार के साथ सन्नीपात की स्थिति होने पर हींग व कपूर व अदरक का रस मिलाकर जिब पर लगा देने भर से आराम होने लगता है।

छाती हृदय : छाती की धड़कन हृदय सुख घबराहट में एक रत्ती मात्रा में ली गई हींग तत्काल लाभ देती है।

मस्तिष्क : हिस्टीरिया में इसे मस्तिष्क उत्तेजक होने के नाते और स्नायु तंतुओं को बल पहुंचने वाले गुण के कारण दिया जाता है। जो निश्चित ही लाभ पहुंचता है।

उदय रोगों में : काला नमक अजवाइन व  सैयाहजीरा  आदि के साथ यह सभी उदय रोगों में  हिंग्वाष्टक चूर्ण के रूप में प्रयुक्त होता हैं।

सर्प काटने पर : सर्प काटने पर  बताया जाता है की हीग को नारियल के दूध में डूबा कर कटे हुए स्थान पर लगाया जाता हैं।

निमोनिया कप : निमोनिया ब्रॉकाइटिस  हुपिंग कप(कुकर खांसी) में 1 से 4 रत्ती की मात्रा में दी गई शोधिक रिंग बड़ी लाभकारी हैं।

कृमि : पेट के कृमि के लिए भी इसका नियमित सेवन लाभदायक है

बच्चों का जन्म आसानी से होना : भुनी हुई हींग को एक ग्राम की मात्रा में पीसकर गर्म पानी से शहर  के साथ सेवन करने से बच्चों का जन्म आसानी से हो जाता है

नाक के रोग : हींग और कपूर को बराबर मात्रा में लेकर उसके अंदर थोड़े से शहर को मिलाकर लगभग 240 _ 240 मिलीग्राम की छोटी-छोटी गोलियां बना ले। इस गोली को हर रोज 4 से 6 घंटे के बाद अदरक के रस के साथ मिलाकर चाटने में जुकाम ठीक हो जाता है।-

सभी प्रकार के दर्द मे  :- हींग त्रिकुटा धनिया अजवाइन चीता और हरण को बड़ी पीसकर चूर्ण बना ले फिर इस बने चरण में जवाब कर और सेंधा नमक मिलाकर साफ पानी के साथ पीने से वायु शुल्क पेशाब में दर्द मल त्याग में दर्द के साथ सभी प्रकार के दर्द समाप्त हो जाते हैं यह पाचन शक्ति को ताकत देता हैं।

दातों की बीमारी :- हींग को थोड़ा गर्म कर कीड़े लगे दांतों के नीचे दबा कर रखे इस दात वह मसूड़े के कीड़े मर जाते हैं और दांतों में आराम पड़ जाता है।

अपचन : हींग छोटी  हरड सेंधानमक अजवाइन बराबर मात्रा में पीस ले एक चम्मच प्रतिदिन तीन बार गर्भ पानी के साथ ले इसे पहचान  शक्ति  ठीक हो जाती है।

भूख न लगना  : भोजन करने से पहले घी में भुनी हुई हींग एवं अदरक का एक टुकड़ा मक्खन के साथ ले इससे भूख खुलकर आने लगेंगे ।

बुखार: हींग का सेवन करने से सीलन भरी जगह में होने वाला बुखार मिटाता है। हींग को नौसादर या गूगल के साथ देने से टाइफाइड बुखार में लाभ होता है।

गठिया रोग :  घुटनों का दर्द दूर करने के लिए असली हीग को घी में पीस ले फिर इससे जोड़ों के दर्द पर मालिश करें इससे घटिया का रोग दूर होता है।

मिर्गी (अपस्मार ) : 10 ग्राम असली  हींग  कपड़े में बांधकर गले में डाले रहने से मिर्गी के दोरे दूर हो जाते हैं

स्मरण शक्ति: जिनकी स्मरण शक्ति कमजोर हो उन्हें 10 ग्राम हींग भुनी 20 ग्राम काला नमक और 80 ग्राम बाय बडगं  पीसकर तीनों को मिलाकर रोज थोड़ा-थोड़ा  गर्म  पानी के साथ पकाना चाहिए याददाश्त  तंदुरुस्त होंगे ।

हाजमा : हाजमा खराब होने पर पेट में तकलीफ होती है हिगाष्टक  चूर्ण का सेवन करने से हाजमा ठीक हो जाता है।

 

 

गूजग्रास: स्वास्थ्य लाभ और उपयोग Goosegrass: Health Benefits and Uses

गूजग्रास: स्वास्थ्य लाभ और उपयोग (Goosegrass: Health Benefits and Usइस जड़ी बूटी अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। क्योंकि लोग इसके चमत्कार लाभ को नहीं जानते हैं ।

अन्य भाषाओं में इसके नाम  :-  गुजग्रास (वैज्ञानिक नाम गैलियम अपारिन) जिसे क्लिवर् या केचविड के नाम से भी जाना जाता है। एक आम जंगली जड़ी बूटी है। इसका कई तरह के औषधि उपयोग है अक्सर  खरपतवार माना जाने वाला गुजग्रास अपने कई स्वास्थ्य लाभों के कारण सदियों से पारंपरिक चिकित्सा में इस्तेमाल किया जा रहा है। या गुजग्रास के मुख्य स्वास्थ्य लाभ और इसके उपयोग जो की आप आसानी से उपयोग कर सकते हैं । घर के आसपास गली चौराहे या खेत की मेड बाग बगीचे में आसानी से पाया जाता है। भली भाती आप सभी इस से परिचित है। लेकिन इसके स्वास्थ्य और लाभ का उपयोग कोई नहीं कर पाता आईए जानते हैं हम लोग अपनी रोजाना जिंदगी में इसका उपयोग कैसे करें इसके लाभ इसके फायदे सभी में आपको इस विस्तार पूर्वक बताऊंगा ।

 

गुजग्रास के स्वास्थ्य लाभ :-

यकृत स्वास्थ्यस्वास्थ – यह यकृत के कार्य का समर्थन करता है और पित्त उत्पादन में सुधार करके शरीर को विषमुक्त करने में मदद करता है।

प्रतिरक्षा को बढ़ाता है – गूजग्रास के रोगाणुरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण प्रतिरक्षा प्रणाली की सुरक्षा को बढ़ा सकते हैं।

हड्डियों का स्वास्थ्य– इसके नियमित सेवन से इसमें मौजूद खनिज तत्व हड्डियों को मजबूती प्रदान कर सकते हैं।

कब्ज से राहत दिलाता है – गूजग्रास एक हल्के रेचक के रूप में काम करता है, जो कब्ज के उपचार में सहायता करता है।

परिसंचरण में सुधार– बेहतर रक्त प्रवाह को बढ़ावा देकर, यह रक्त के थक्कों के जोखिम को कम कर सकता है और समग्र हृदय स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है– माना जाता है कि गूजग्रास एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है, जिससे हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।

कैंसर-रोधी क्षमता– कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि गूजग्रास में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कैंसर की रोकथाम में भूमिका निभा सकते हैं।

चिंता कम करता है – गूजग्रास चाय पीने से शांतिदायक प्रभाव पड़ता है, जिससे चिंता और तनाव से राहत मिलती है।

सिरदर्द से राहत – पारंपरिक उपचार में, गूजग्रास का उपयोग तनाव से होने वाले सिरदर्द को कम करने के लिए किया जाता है।

आरामदायक नींद को बढ़ावा देता है – गूजग्रास के शांतिदायक गुण नींद की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।

साँप के काटने का इलाज करता है – कुछ पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में, इसका उपयोग साँप के काटने के इलाज और विष के प्रसार को रोकने के लिए किया जाता है।

शरीर को डिटॉक्सिफाई  करता है _ गुजरात अपने मूत्रवर्धक गुना के लिए जाना जाता है जो शरीर से अतिरिक्त तरल पदार्थ और विषाक्त पदार्थ को बाहर निकलने में मदद करता है इसका इस्तेमाल अक्सर लिवर किडनी और लसिका तंत्र को साफ करने के लिए हर्बल डेडॉक्स उपचार में किया जाता है

यह क्यों महत्वपूर्ण है 

शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलना और पानी के प्रतिधारन को कम करने में मदद करता है।

गुद्रे और यकृत के स्वास्थ्य का समर्थन करता है समग्र इस हरण को बढ़ावा देता है।

लसीका प्रणाली के स्वास्थ्य का समर्थन करता है

गुजग्रास के सबसे उल्लेखनीय लाभो में से एक लसीका प्रणाली का समर्थन करने की इसकी क्षमता है। यह लसीका द्रव्य की गति को उत्तेजित करने सूजन को कम करने और शरीर से विषयक पदार्थों को साफ करने में मदद करता है।

लिम्फ नोडस में सूजन और सूजन को कम करता है।  लिम्फडेमा अन्य लसीका प्रणाली विकारों जैसी स्थितियों मे मदद करता है।

लिम्फ नोड्स में सूजन और सूजन को कम करता है।
लिम्फेडेमा और अन्य लसीका प्रणाली विकारों जैसी स्थितियों में मदद करता है।….
. प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में कार्य करता है
गूसग्रास मूत्र उत्पादन को बढ़ावा देता है, जिससे यह पानी के प्रतिधारण और सूजन को कम करने के लिए एक सहायक उपाय बन जाता है। इसके मूत्रवर्धक गुणों का उपयोग मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई) और गुर्दे की पथरी के इलाज के लिए किया जा सकता है।

यह क्यों महत्वपूर्ण है:

संक्रमण के जोखिम को कम करके मूत्र स्वास्थ्य का समर्थन करता है।
मूत्राशय के संक्रमण और गुर्दे की पथरी जैसी स्थितियों का इलाज करने में मदद करता है।

. सूजन को कम करता है
गूजग्रास में सूजनरोधी गुण होते हैं, जो इसे जलन वाली त्वचा को शांत करने और आंतरिक सूजन को कम करने के लिए उपयोगी बनाता है। इसे गठिया और अन्य सूजन संबंधी समस्याओं जैसी स्थितियों में मदद करने के लिए शीर्ष पर लगाया जा सकता है या इसका सेवन किया जा सकता है।

यह क्यों महत्वपूर्ण है:

गठिया से होने वाले जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करता है।
एक्जिमा और सोरायसिस जैसी त्वचा की स्थितियों को शांत करने में मदद करता है।

.त्वचा के स्वास्थ्य का समर्थन करता है
इसकी सफाई और सूजन-रोधी गुणों के कारण, गूजग्रास का उपयोग अक्सर त्वचा की स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है। पारंपरिक चिकित्सा में इसका उपयोग घावों, जलन और चकत्ते के उपचार में किया जाता है। यह मुँहासे, एक्जिमा और सोरायसिस को शांत करने में भी मदद कर सकता है।

यह क्यों मायने रखता है:
घाव भरने को बढ़ावा देता है और जलने या कटने से होने वाली जलन को कम करता है।
सूजन को कम करके और विषहरण करके मुँहासे और अन्य त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
.प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देता है
गूसग्रास में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो मुक्त कणों से लड़ने और प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। गूसग्रास चाय या अर्क का सेवन संक्रमणों के खिलाफ शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

यह क्यों महत्वपूर्ण है:

संक्रमण और बीमारियों से लड़ने की शरीर की क्षमता को बढ़ाता है।
शरीर को मुक्त कणों से बचाता है, जिससे पुरानी बीमारियों का खतरा कम होता है।
वजन घटाने में सहायक
गूजग्रास के मूत्रवर्धक गुण अतिरिक्त पानी के वजन को कम करने में मदद कर सकते हैं, जिससे यह वजन घटाने की दिनचर्या में उपयोगी हो जाता है। यह सूजन को कम करने और स्वस्थ चयापचय का समर्थन करने में मदद कर सकता है।

यह क्यों महत्वपूर्ण है:

पानी के वजन को प्रबंधित करने और सूजन को कम करने में मदद करता है।
स्वस्थ चयापचय का समर्थन करता है, वजन प्रबंधन में सहायता करता है।
.पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है
गूजग्रास को स्वस्थ पाचन का समर्थन करने के लिए जाना जाता है। अपच, सूजन और कब्ज को शांत करने के लिए इसे चाय के रूप में सेवन किया जा सकता है। जड़ी बूटी का उपयोग अक्सर पाचन तंत्र को साफ करने और पोषक तत्वों के अवशोषण को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है।

यह क्यों महत्वपूर्ण है:

पेट फूलने और कब्ज जैसी पाचन संबंधी असुविधा से राहत देता है।

नियमित मल त्याग को बढ़ावा देकर समग्र आंत के स्वास्थ्य का समर्थन करता है।

गूजग्रास के सामान्य उपयोग
हर्बल चाय: गूजग्रास का सेवन करने का सबसे आसान तरीका ताजा या सूखी जड़ी बूटी से चाय बनाना है। चाय का उपयोग विषहरण, पाचन में सहायता या मूत्रवर्धक के रूप में किया जा सकता है।

स्थानिक अनुप्रयोग: गूजग्रास को कट, जलन और चकत्ते को शांत करने के लिए सीधे त्वचा पर लगाया जा सकता है। इसे पुल्टिस में बनाया जा सकता है या बाम में मिलाया जा सकता है।

टिंचर: गूजग्रास टिंचर का उपयोग अक्सर लसीका प्रणाली का समर्थन करने और विषहरण में मदद करने के लिए किया जाता है।

हर्बल सप्लीमेंट्स: गूजग्रास कैप्सूल के रूप में पाया जा सकता है और इसे मूत्र स्वास्थ्य, पाचन स्वास्थ्य और विषहरण का समर्थन करने के लिए लिया जाता है। जूसिंग: विषहरण लाभों को बढ़ाने के लिए अन्य सागों के साथ ताजा गूजग्रास का जूस बनाया जा सकता है।
गूजग्रास का उपयोग कैसे करें
गूजग्रास चाय: सूखे गूजग्रास के 1-2 चम्मच को 10 मिनट के लिए गर्म पानी में भिगोएँ। इसके स्वास्थ्य लाभों का अनुभव करने के लिए प्रतिदिन 1-2 कप पिएँ।
पुल्टिस: ताजे पौधे को मसल लें और इसे सीधे त्वचा की जलन, घाव या चकत्ते पर लगाएँ ताकि उपचार में मदद मिल सके।

जूस: अतिरिक्त डिटॉक्स लाभों के लिए अपने हरे जूस मिश्रण में ताजा गूजग्रास मिलाएँ।

गूजग्रास एक आम बगीचे की खरपतवार हो सकती है, लेकिन इसके स्वास्थ्य लाभ कुछ भी नहीं हैं। डिटॉक्सिफिकेशन से लेकर लसीका प्रणाली का समर्थन करने और स्वस्थ त्वचा को बढ़ावा देने तक, गूजग्रास प्राकृतिक उपचार में एक मूल्यवान जड़ी बूटी हो सकती है। चाहे आप इसे चाय के रूप में पिएँ या इसे शीर्ष पर लगाएँ, यह विनम्र पौधा आंतरिक और बाहरी स्वास्थ्य दोनों के लिए कई तरह के लाभ प्रदान करता है। किसी भी हर्बल उपचार को शुरू करने से पहले हमेशा एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करें, खासकर यदि आप गर्भवती हैं, स्तनपान करा रही हैं या दवा ले रही हैं।

 

 

 

 

How to use Giloy : गिलोय का उपयोग कैसे करें

* गिलोय (अमृत) -(How to use Giloy)गिलोय का उपयोग कैसे करें आमतौर पर देखा जाए तो गिलोय जंगल में पाई जाती हैं। बड़े ऊंचे हरे पेड़ पर पाई जाती है। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण  होती है। अगर  हमे  चाहिए तो हरे नीम के पेड़ की । नीम की पेड़ की गिलोय का अधिक महत्व बताया गया है बताया जाता है कि नीम के पेड़ की गिलोय जो होती है अधिक शुद्ध होती हैं।  काफी असरदार और कारगर होती है। गिलोय के तने  और पत्ते भी उपयोग में आते हैं गिलोय को तोड़ते समय पूरा उखड़े नहीं जितना रहे उतना ही उपयोग करें क्योंकि बहुत महत्वपूर्ण होती है।

गिलोय को पानी में पीसकर ठंडाई जैसी बना लेनी चाहिए यह उसे पंसारी चुकाकर भी टुकड़ों में भेजता है गिलोय का शक्ति निकलते हैं पर अधिक अच्छा यह है कि उसे गली स्थिति में ही लिया जाए चटनी या ठंडाई के रूप में भी प्रयुक्त किया जाए इसे एक बार या आवश्यकता अनुसार पता शायद दो बार भी लिया जा सकता है।

गिलोय को रामबाण स्टार की संजीवनी बूटी माना गया है इसके गुण पर रहते हैं तुलसी से ही मिलते-जुलते हैं यह भी माना गया है की गिलोय अगर हम नित्य ले तो हमें किसी भी प्रकार की बीमारी छू भी नहीं सकती इस प्रकार गुणों का महत्व बताया गया है।

*आईए जानते हैं गिलोय के उपयोग और लाभ

1) रक्तचाप ,हृदय ,रोग एवं माध्यमों के लिए और साधारण सिद्ध होते हैं।

2) गिलोय को बल वर्धन भी माना गया है अगर हम ताजी गिलोय को घर ले आए साफ करके उसको कूट के पानी में भिगोए और सुबह नित्य उठकर पिए बलवर्धक सिद्ध होती है।

3) वह प्रेमह स्वप्नदोष वह नपुंसकता आदि में भी अपना प्रभाव प्रस्तुत करती है यह हानि रहित औषधि हैं।

4) गिलोय घी के साथ  वात को खत्म करता हैं। शक्कर के साथ पित्त को खत्म करता हैं। शहर के साथ कफ खत्म करता है एवं शोठ  के साथ आमवत को दूर करता हैं।

5) इसका   ज्वर  शामक गुण किसी भी एंटीबायोटिक से कई गुना बढ़कर हैं।

6) क्षय रोग में ढाई तोला गिलोय का रस छोटी पिपली के एक ग्राम चूर्ण के साथ प्रातः काल पीला  पिलाया जाता है तो यह रोक आसानी से ठीक हो सकता है।

7) सिर्फ विष मे  इसकी जड़ का रस या   कड़ा कटे हुए स्थान पर लगाया जाता है आंखों में डाला जाता है एवं आधे आधे घंटे में पिलाया जाता हैं।

8) गिलोय एक मेधा वर्धक औषधि है मस्तिष्क विकारों में बड़ी उपयोगी है एवं एक रसायन हैं।

9) हाथ पैर घुटने और जोड़ों में दर्द हो तो गली  गिलोय का उपयोग करें रात में 3 से 4 टुकड़े कूद कर भिगोकर रखें और सुबह इसे छान कर पी ले कुछ दिनों में तुरंत आराम मिलेगा

10) अगर चिकनगुनिया की बीमारी हो तो ताजी किलो तोड़ कर ले और सुबह 4 से 5 टुकड़े आधा गिलास पानी में गर्म करके इसका काढ़ा बनाएं और रोजाना सेवन करें जड़ से खत्म हो जाएंगे

गिलोय एक रामबाण इलाज है हम लोग उसके बारे में अपरिचित है या फिर हम लोग उसका उपयोग करना नहीं जानते गांव खेत खलियानों में यह अधिकतम पाई जाती है अगर हम इसका सही उपयोग करें तो जोड़ों का दर्द घुटनों का दर्द नापूछसकता शरीर में ढीलापन शरीर में तनाव आदि बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है हमें नित्य साइन कल में दो से तीन गिलोय के टुकड़ों को काटकर भिगोकर रखना है और प्रातः सुबह-सुबह उसको छान कर पी लेना है।

 सत्व निकालने की विधि:-

गिलोय के तने से ऊपरी पतली  छाल निकल कर एक से दो इंच लंबे टुकड़े कर इनको डंडे से कूटकर  10  गुने जल में भिगो दे। इनको मिट्टी के बर्तन में भिगोकर रखा जाता है 12 घंटे तक  भिगोने  से गिलोय के टुकड़े फुलकर मुलायम हो जाते हैं तब इनको हाथ से अच्छी तरह मसल कर बाहर निकाल कर फेंक दे गिलोय का स्टार्च पानी में घुल जाता है इसे शेष बचे पानी को मोटे कपड़े से छान ले तीन से चार घंटे तक पढ़ा  रहने दे। बर्तन के पेंदे में गिलोय स्टार्च जम  जाएगा। इसके ऊपर का पानी निथार् कर फेक  दे। बर्तन के पेंदे में श्वेत वर्णों का जमा सत्व धूप में सुखाले। यह सत्तू भी बाजार में औषधि के रूप में अच्छे मूल्य पर बिकता है। गिलोय की बिक्री से होने वाली आय के अतिरिक्त सहारा वृक्ष से भी आमदनी होती है गिलोय की छांव में छाया पसंद औषधि पौधों की भी खेती की जा सकती है इस प्रकार गिलोय  का उपयोग करके हम गिलोय के सत्व  को बेच भी सकते हैं और औषधि के रूप में इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

आवश्यक सूचना

पास से किसी चिकित्सक या परामर्श की सलाह अवश्य ले।