एलोवेरा से क्या होता है What happens with aloe vera?

एलोवेरा( घृतकुमारी ) : तुलसी गिलोय की तरह यद्यपि एलोवेरा जिसे घी कुवार भी कहते हैं।  मसाला तो नहीं है पर आंगनबाड़ी लगाते समय इसे भी लगा देना चाहिए अपने ढंग की घरेलू दवा तो है ही उसकी प्राकृतिक गर्म मानी जात जाती है एवं शक्ति वर्धक भी सामान्य उपयोग में इसका गूदा ही आता है जो  छिलके के साथ मजबूती से चिपका रहता है। इसे चाकू से ही अलग करना पड़ता हैं। घी तेल में डालकर मसाले डालकर इसे शाक कि तरह भी खाया जा सकता है। और घी आटे  में मिलाकर लड्डू कतली भी बना सकते हैं इसे आहार की तरह सीमित मात्रा में उपयोग किया जा सकता है प्रवास के उपरांत जनानी को भी पेट की सफाई के लिए खिलाया जाता हैं। पेट के रोगों में विशेष रूप से काम आता है उसकी  पुलिस्ट दुखाने वाले स्थान पर बांधी  दी जाती है।  पेट दर्द सिर दर्द आदि में इसकी लुगदी बांध देने से फायदा होता हैं। अपने एलोवेरा का बहुत नाम सुना होगा और यह भी सुना होगा की एलोवेरा को औषधि की तरह इस्तेमाल किया जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एलोवेरा के औषधीय गुण क्या क्या है क्या आपको पता है कि किस-किस रोग में एलोवेरा के इस्तेमाल से लाभ मिलता हैं। आयुर्वेदिक में एलोवेरा के फायदे के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई है कई प्रकार से एलोवेरा का उपयोग  किया जाता है ऐसी कई सारी बीमारियां है जो एलोवेरा से ठीक की जाती हैं।

एलोवेरा क्या है : 

एलोरा का पौधा छोटा होता है इसके पत्ते मोटे गोरेदार होते हैं पत्ते चारों तरफ लगे होते हैं। एलोवेरा के पत्तों के आगे का भाग नोकीला  होता है इसके किनारो पर हल्के  हल्के के कांटे होते हैं पत्तों के बीच से फुलो का गुलदस्ता  निकलता है  होता है जिस पर पीले रंग के फूल लगे होते हैं हरे कलर के पत्ते होते हैं लंबे-लंबे और इसके अंदर सफेद कलर का एक परत जमी होती है भारत के अलग-अलग देश में एलोवेरा की कई प्रजाति पाई जाती है मुख्यतः दो प्रजातियों का चिकित्सा में विशेष तौर पर प्रयोग किया जाता है एलोवेरा और पितापुष्पा कुमारी आदि ।

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अन्य भाषाओं मे एलोवेरा के नाम :

* हिंदी मे – घीकुआर   ग्वारपाठा

* संस्कृत – कुमारी ग्रहकन्या कन्या घृतकुमारी

* कन्नड़ – लोलिसार

* गुजराती – कुंवर कड़वी कुवार

* बंगाली – घ्रतकुमारि

* पंजाबी – कोगर  कोरवा

* मराठी – कोरफाड़  कोरकांड

* फारसी दरख्ते सिब

* इंग्लिश – इंडियन एलो

*  लैटिन  – एलोवेरा

एलोवेरा के औषधीय गुण  


फेफड़ों की सूजन स्वास्थ्य : फेफड़ों की सूजन स्वास्थ्य रोग तिल्ली जिगर तथा गुर्दों की बीमारी में इसका उपयुक्त लाभकारी है।

मज्जावर्धन कामोत्तेजना : घी कुंवर के रस को सुखाकर एक पदार्थ बनाया जाता है जिससे एलुआ या मुसबार कहते हैं वह नरम वह पारदर्शी होता है। मज्जावर्धन कामोत्तेजना  देने वाला  कृमि नाशक एवं विष  निवारक माना गया है।

माल शोध : सारे शरीर के माल शोधन  हेतु घीकुवार एक श्रेष्ठ औषधि मानी जाती हैं। जठराग्नि को यह प्रदीप करता है एवं हर प्रकार की खासी, लीवर के रोग में आराम पहुंचता हैं।

चर्म रोग : यह चर्म रोग में भी आराम पहुंचता है चर्म रोगों में यह रक्त शोधन की भूमिका निभाता हैं।

आँत और उत्तर गुदा : पेट में इसकी प्रधान क्रिया बड़ी आंत एवं उत्तर गुदा (एनोरेक्टल जक्सन ) पर होती है घी कुवार का गुड़ा 6 मांस मिलाकर खाने से वायु गोले से हुआ पेट दर्द मिट जाता हैं। रक्त प्रदर श्वेत प्रदर एवं हर प्रकार के प्रजनन अंगों की बीमारियों में प्रयोग लाभकारी हैं।

मासिक धर्म के समय : रजोरोध रहोने पर मासिक धर्म के समय से एक सप्ताह पूर्व इसका सेवन आरंभ कर देना चाहिए ।

पत्र का स्वरस माता में  19 से 20 मिली लीटर (दो से चार छोटे चम्मच) एवं एलवा चूर्ण 1/2 ग्राम तक की मात्रा में देते हैं अधिक मात्रा में देने पर मरोड़ के साथ दस्त आने लगते हैं अतः मात्र का ध्यान हर स्थिति में रखना चाहिए विशेष रूप से सुख अलावा चरण के संबंध में ।

स्क्रीन के लिए फायदेमंद : एलोवेरा में ऐसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो प्रदूषण ,धूप, धूल के कारण होने वाली त्वचा की समस्याओं से दूर रखने में मदद करता हैं। इसके जेल को चेहरे पर लगाने से कील मुंहासे, पिंपल्स दाग धब्बे से छुटकारा मिलता हैं। पानी की 99% मंत्र एक्स्ट्रा जेल की तरह काम करती हैं। और साथ ही बॉडी को हाइड्रेट भी रखती है चेहरे पर रोजाना इसका जेल लगाने से कुछ ही दिनों में आपकी कोमल त्वचा हो जाती है और साथ ही स्किन इन्फेक्शन का भी खतरा नहीं रहता है एलोवेरा त्वचा लंबे समय के लिए बढ़िया रहती हैं।