हींग का उपयोग कैसे करें How to use asafoetida
हींग वस्तुतः एक वृक्ष का दूध है, जो जमकर गोंद की शक्ल ले लेता है। भारत में या ईरान से आती है। इससे उग्रगंधा या सहस्त्र वेधि भी कहा रहते हैं।हींग एक ऐसा पौधा है जिसकी गंध बहुत ही तीखी होती है और इसका स्वाद कड़वा होता है। लेकिन घर में और दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाने वाला हींग, हींग के पौधे पर फल, फूल या छाल से प्राप्त नहीं होता ब्लकि हींग के पौधे की ऊपरी जड़ो से निकलने वाले दूध से तैयार किया जाता है। यह रस या दूध हींग के पौधे की जीवित जड़ों में लगाए गए कट से निकलता है जिसे इकठ्ठा कर हींग का उत्पादन किया जाता है।
काली भूरी तीखी गंध वाली हींग सर्वश्रेष्ठ मानी गई हैं। यह छोक आदि में भोजन में बड़े व्यापक के स्तर पर प्रयोग की जाती हैं
हींग का उपयोग कैसे करें
आयुर्वेदाचार्य के अनुसार हींग :- पेट की अग्नि को बढ़ाने वाली अमाशय वह हाथ आंतो के लिए उत्तेजक पित्तवर्धन माल बांधने वाली खांसी , कप ,अफरा मिटाने वाली एवं हृदय से संबंधित छाती के दर्द व पेट के दर्द को मिटाने वाली एक परीक्षित औषधि हैं।
कृमि रोग : इसे अजीण एवं कर्मी रोग में भी उपयोग किया जाता हैं।
लिवर शक्ति : लिवर को यह शक्ति देता है एवं मस्तिष्किया की विकारों में भी इसका प्रभाव देखा गया है।
श्वास नलिका : हींग को देने से स्वास नलिका में जमा कब पतला होकर निकल जाता हैं।
पेट का फूलना : हींग को शुद्ध करके लिया जाता हैं। लोहे के पत्र में घी डालकर गर्म करते हैं। लाल होने पर उतार देते हैं पेट का फूलना, दर्द ,अपचयन एवं कृमि रोग में हींग दो से तीन रत्ती तक की मात्रा में अजवाइन व घीकुवार के गूदे के साथ देते हैं।
आंतों में अल्सर : आंतों में अल्सर होने पर इसके पानी का एनिमल भी दिया जाता है। जिसे आसानी से अल्सर के रोगों को ठीक किया जा सकता हैं।
मलेरिया रोग : मलेरिया ज्वर में हींग वह कपूर की मिली हुई बाटी दी जाती है। एक तोला हींग व एक तोला कपूर इन दोनों को शहर में घोट कर रत्ती रत्ती भर की गोलियां बना कर दी जाना चाहिए जिससे मलेरिया रोगों को बढ़ि जल्दी से ठीक किया जा सकता है।
सन्नीपात स्थिति: ज्वार के साथ सन्नीपात की स्थिति होने पर हींग व कपूर व अदरक का रस मिलाकर जिब पर लगा देने भर से आराम होने लगता है।
छाती हृदय : छाती की धड़कन हृदय सुख घबराहट में एक रत्ती मात्रा में ली गई हींग तत्काल लाभ देती है।
मस्तिष्क : हिस्टीरिया में इसे मस्तिष्क उत्तेजक होने के नाते और स्नायु तंतुओं को बल पहुंचने वाले गुण के कारण दिया जाता है। जो निश्चित ही लाभ पहुंचता है।
उदय रोगों में : काला नमक अजवाइन व सैयाहजीरा आदि के साथ यह सभी उदय रोगों में हिंग्वाष्टक चूर्ण के रूप में प्रयुक्त होता हैं।
सर्प काटने पर : सर्प काटने पर बताया जाता है की हीग को नारियल के दूध में डूबा कर कटे हुए स्थान पर लगाया जाता हैं।
निमोनिया कप : निमोनिया ब्रॉकाइटिस हुपिंग कप(कुकर खांसी) में 1 से 4 रत्ती की मात्रा में दी गई शोधिक रिंग बड़ी लाभकारी हैं।
कृमि : पेट के कृमि के लिए भी इसका नियमित सेवन लाभदायक है
बच्चों का जन्म आसानी से होना : भुनी हुई हींग को एक ग्राम की मात्रा में पीसकर गर्म पानी से शहर के साथ सेवन करने से बच्चों का जन्म आसानी से हो जाता है
नाक के रोग : हींग और कपूर को बराबर मात्रा में लेकर उसके अंदर थोड़े से शहर को मिलाकर लगभग 240 _ 240 मिलीग्राम की छोटी-छोटी गोलियां बना ले। इस गोली को हर रोज 4 से 6 घंटे के बाद अदरक के रस के साथ मिलाकर चाटने में जुकाम ठीक हो जाता है।-
सभी प्रकार के दर्द मे :- हींग त्रिकुटा धनिया अजवाइन चीता और हरण को बड़ी पीसकर चूर्ण बना ले फिर इस बने चरण में जवाब कर और सेंधा नमक मिलाकर साफ पानी के साथ पीने से वायु शुल्क पेशाब में दर्द मल त्याग में दर्द के साथ सभी प्रकार के दर्द समाप्त हो जाते हैं यह पाचन शक्ति को ताकत देता हैं।
दातों की बीमारी :- हींग को थोड़ा गर्म कर कीड़े लगे दांतों के नीचे दबा कर रखे इस दात वह मसूड़े के कीड़े मर जाते हैं और दांतों में आराम पड़ जाता है।
अपचन : हींग छोटी हरड सेंधानमक अजवाइन बराबर मात्रा में पीस ले एक चम्मच प्रतिदिन तीन बार गर्भ पानी के साथ ले इसे पहचान शक्ति ठीक हो जाती है।
भूख न लगना : भोजन करने से पहले घी में भुनी हुई हींग एवं अदरक का एक टुकड़ा मक्खन के साथ ले इससे भूख खुलकर आने लगेंगे ।
बुखार: हींग का सेवन करने से सीलन भरी जगह में होने वाला बुखार मिटाता है। हींग को नौसादर या गूगल के साथ देने से टाइफाइड बुखार में लाभ होता है।
गठिया रोग : घुटनों का दर्द दूर करने के लिए असली हीग को घी में पीस ले फिर इससे जोड़ों के दर्द पर मालिश करें इससे घटिया का रोग दूर होता है।
मिर्गी (अपस्मार ) : 10 ग्राम असली हींग कपड़े में बांधकर गले में डाले रहने से मिर्गी के दोरे दूर हो जाते हैं
स्मरण शक्ति: जिनकी स्मरण शक्ति कमजोर हो उन्हें 10 ग्राम हींग भुनी 20 ग्राम काला नमक और 80 ग्राम बाय बडगं पीसकर तीनों को मिलाकर रोज थोड़ा-थोड़ा गर्म पानी के साथ पकाना चाहिए याददाश्त तंदुरुस्त होंगे ।
हाजमा : हाजमा खराब होने पर पेट में तकलीफ होती है हिगाष्टक चूर्ण का सेवन करने से हाजमा ठीक हो जाता है।