In which disease is Apamarga used? अपामार्ग किस बीमारी में काम आता  है

अपामार्ग अथवा लटजीर :- अपामार्ग किस बीमारी में काम आता  है । अपामार्ग है क्या इसका साधारण परिचय देते हैं हम आपको

विभिन्न भाषाओं में नाम:- बंगाली में आपाग, गुजराती में अंधेरी,मराठी में आघाडा ,तेलुगु में अपामार्ग

साधारण परिचय:- यह वनऔषधि भारत भारत के प्राय सभी प्रति में प्राकृतिक रूप से पाई जाती हैं। यह पौधा गांव शहर वनों तथा उद्यानों में बिना बॉय उत्पन्न होता हैं। यह पौधा प्राय वर्ष ऋतु के समय अत्यधिक मात्रा में प्राकृतिक रूप से उगता हुआ पाया जाता हैं। यह शुष्म  स्वरूप 6 फीट ऊंचा तथा शाखाएं पर्व के ऊपर मोटी होती हैं। पेट नोकदार कुछ गोल होते हैं पुष्प दंड एक से दो फीट लंबा इस पर लाल गुलाबी एवं पीलापन लिए पुष्प उत्पन्न होता हैं। इस दंड पर छोटे-छोटे कांटेदार फल निकलते हैं। जो उल्टे होते हैं तथा कपड़ों के साथ चिपक जाते हैं। अपामार्ग दो प्रकार का होता है लाल अपामार्ग मार्ग सफेद  अपामार्ग । कांड का रंग लाल होता है जबकि सफेद अपामार्ग की शाखाएं श्वेत हरित वाणी तथा पत्ते हरे रंग के सफेदी लिए हुए होते हैं भारतीय चिकित्सा पद्धति में इसका प्रयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है इसी कारण अपामार्ग एक दिव्या बूटी के रूप में जानी जाती हैं।

औषधि उपयोगिता:- अपामार्ग किस बीमारी में काम आता है आयिए  हम जानते हैं। अपामार्ग के सभी अंग औषधि गुना से भरपूर होते हैं इसलिए पंचांग का उपयोग ही रोगों के उपचार केवल लिए किया जाता हैं।

1) पथरी के लिए सबसे  फायदेमंद ,अपामार्ग इसकी जड़ को पीसकर जल में घोलकर पीने से पथरी चूर-चूर होकर बाहर निकल जाती हैं।

2) इसकी ताजी  जड़ का उपयोग  दातुन  के रूप में करने से रस को अंदर उतरने पर भी पथरी में लाभ होता हैं।

3) इसके जड़ की पेस्ट का उपयोग कैंसर उपचार तथा उधर विकारों में लाभकारी होता है।

4) बवासीर में खून आता हो तब इसके बीजों को पीसकर इसका चरण( 6 मास) चावल की धोवन के साथ सेवन करने से लाभ होता हैं।

5) मस्तिष्क दिमाग के रोगियों के लिए इसके बीच की खीर दूध में बनाकर खिलाने से लाभ होता है।

6) अपामार्ग का क्षार स्वास रोगियों के लिए लाभकारी होता हैं।

7) इसके दो तोला बीच लगातार प्रतिदिन प्रातः 365 दिन तक सेवन करने पर व्यक्ति दीर्घायु हो जाता हैं।

8) श्वास नलिका पर अपमार्ग का उत्तम प्रभाव होता हैं।

9) इसका सेवन करने से कब पतला होकर बाहर हो जाता है

10) पथरी ,श्वास, दमा ,मस्तिष्क, रोग जैसे  अनेक बीमारियों से बड़ी आसानी से अपामार्ग उपयोग कर हम लोग दूर कर सकते हैं।

11) अपामार्ग की जड़ , तना फल और फूल को मिलाकर काडा बनाए और चावल के धोवन अथवा दूध के साथ पिए इससे खूनी बवासीर में कौन का  आना बंद हो जाता है

12) अपामार्ग के पंचांग ( जड़,तना ,पत्ती ,फूल ,और फल, ) को पानी में उबालकर काडा तैयार करें और इससे स्नान करें नियमित रूप से स्नान करते रहने से कुछ दिन में खुजली दूर हो जाएगी।

13) संतान प्राप्ति के लिए अपमार्क की जड़ के चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में दूध के साथ मासिक स्राव के बाद नियमित रूप से  21 दिन तक सेवन करने से गर्भधारण होता है। दूसरे दूसरे प्रयोग के रूप में ताजे पत्ते के दो चम्मच रस को एक कप दूध के साथ-साथ मासिक स्रोत के बाद नियमित सेवन से भी गर्भ स्थिति की संभावनाएं बढ़ जाती है

14) स्वप्नदोष में अपामार्ग की जड़ का चूर्ण और मिश्री बराबर मात्रा में पीसकर रख ले। एक चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार एक से दो हफ्ते तक सेवन करें।

15) अगर मुंह में छाले पड़ जाए तो अपामार्ग के पत्तों का रस छालों पर लगे।

अपामार्ग प्राकृतिक रूप से ही प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो जाती है इसलिए  अपामार्ग की खेती करने की आवश्यकता नहीं पड़ती किंतु आयुर्वेदिक जगत में जिस मात्रा में इसका उपयोग किया जा रहा हैं। उसकी मांग और उसका उपयोग को देखते हुए इसकी खेती करना भी लाभकारी होता हैं। हम लोग इसी खेती अच्छी तरह करके इसका उपयोग कर सकते हैं। काई  जगह आयुर्वेदिक अस्पताल आनेको जगह उनकी आवश्यकता होती है जहां हम इसको अधिक मात्रा में भेज कर धन को अर्जित कर सकते हैं।