स्वास्थ्य के लिए अडूसा क्या काम आता है। उसके फायदे गुण और लाभ सभी आपको बताया जाएंगे और आड़ूसे का क्या उपयोग करें किन-किन बीमारियों में इसका उपयोग करें कितनी मात्रा में इसका उपयोग करें यह सारी बातें आपको बताई जाएंगे ।
विभिन्न भाषाओं के नाम –
बंगाली – वासक, मराठी – अडलास, गुजराती आरडुसी , कन्नड़ आड़ूसोगे, पंजाबी भकर, तमिल अटतो।
What are the benefits of Adusa for health? स्वास्थ्य के लिए अडूसा क्या काम आता है उसके फायदे
अड़ूसे का साधारण परिचय:- यह वन औषधि भारत के सभी प्रांतों में प्राकृतिक रूप से उगती पाई जाती है । यह एक सदा हरित झाड़ी नमा क्षुप है । यह 6 से 8 फीट ऊंचा होता है इसकी लंबी शाखों पर सफेद पुष्प होते हैं। इसके पत्ते घर हरे रंग के होते हैं। इस पेड़ की खासियत है कि इस पेड़ के फूल ,डंठेली ,जड़, तने, सबको हम औषधि में उपयोग कर सकते हैं।
आड़ूसा के औषधीय गुण :- इसके पत्ते ,पुष्प, फल, तथा मूल का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है । इसके पत्तों तथा जड़ों का प्रयोग पीलिया खांसी तथा कुपचन में किया जाता है । इसके पत्तों में पाए जाने वाला तेल तथा वेसीन खांसी तथा स्वास्थ्य रोग में अत्यंत उपयोग होता है । इसमें एक अन्य हाइपरटेंसिव गुण होता है जो हृदय रोग में बहुत ही उपयोगी होता है। इसके पत्तों से मिले पीले रंग की दाई का निर्माण किया जाता है इसकी जड़ों से खांसी तथा पीलिया रोगों के लिए औषधि का निर्माण होता है ।
और अडूसे का उपयोग
1) सर दर्द में आराम: आड़ूसे के फूलों को सुखाकर उसे कूट पीस ले । उसके साथ थोड़ी सी मात्रा में गुड मिलाकर उसकी छोटी-छोटी गोलियां बना ले रोजाना एक गोली के सेवन से सिर दर्द की समस्या खत्म हो जाती है । यह प्रयोग नियमित तरीके से करें।
2) खून को रोकने के लिए : आड़ूसा की जड़ और फूल का काढ़ा करके घी में पक्का शहद मिलाकर खाने से यदि कहीं से रक्त आता हो तो बंद हो जाता है ।
3) जोड़ों का दर्द: इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर जोड़ों के दर्द के उपचार के लिए दिया जाता है तथा गर्व पाटन हेतु भी इसका उपयोग किया जाता है।
4) अस्थमा रोग में : श्वास रोग में इसके सूखे पत्तों को रोल कर सिगरेट की तरह धूम्रपान करने से लाभ होता है।
5) ब्रोकाइटिस एवं खासी : ब्रोंकाइटिस एवं खांसी जैसे जिन रोगों में पत्तों और जड़ों में अदरक मिलाकर कड़ा तैयार कर पिलाने से अति लाभकारी सिद्ध होता है।
6) महिलाओं का मासिक धर्म : महिलाओं के मासिक धर्म को नियमित करने के उपचार हेतु इसके पत्तों का खड़ा बहुत ही उपयोगी होता है।
7) पीलिया रोग एवं मूत्र : कामला (पीलिया )रोग तथा मूत्र विकारों के लिए उपचार हेतु इसका उपयोग लाभकारी साबित होता है।
8) नेत्र रोग : नेत्र रोगों में ताजी पुष्प का प्रयोग लाभकारी होता है।
9) रक्त शुद्धीकरण : रक्त शुद्धीकरण तथा रक्त संचरण नियमित करने हेतु इसके पुष्पों का कड़ा अत्यंत उपयोगी है ।
10) क्षय (टी. वी) रोगों के लिए : वसा अड़ूसा उसे के तीन लीटर रस में 220 ग्राम मिश्री मिलाकर धीमी आंच पर पकाएं जब गड़ा होने को हो तब उसमें 80 ग्राम छोटी पीपली का चूर्ण मिलाले जब ठीक प्रकार से चाटने योग्य पक जाए तब उसमें गाय का घी 160 ग्राम मिला कर प्राप्त चलाएं ठंडा होने पर उसमें 120 ग्राम शहद मिला ले 5 ग्राम से 10 ग्राम तक टीवी के रोगों को दे सकते हैं साथ ही खांसी , सांस के रोगों ,कमर दर्द ,हृदय का दर्द, रक्तपत्ती तथा बुखार को भी दूर करता है।
11) फोड़े -फुंसी : अड़ूस के पत्तों को पीसकर गढ़ ॎ लेप बनाकर फोड़े फुंसी की प्रारंभिक अवस्था में ही लगाकर बाधने से इनका असर कम हो जाएगा । यदि पक गया हो तो शीघ्र ही फूट जायेंगे । फूटने के बाद इसके लेप में थोड़ी पीसी हल्दी मिलाकर लगाने से शीघ्र घाव भर जाएंगे।
12) खुजली : अड़ूस उसेके नर्म पत्ते और अंबा हल्दी को गाय के पेशाब में पीसे और उसका लेप करें अथवा अड़ूस को पानी में उबाले और उसे पानी से स्नान करें खुजली जड़ से खत्म हो जाएंगे।
अडूसा का यह पौधा हमारे देश में लगभग सभी प्रांतों के सभी क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एवं उसकी पहचान कर इसके सरल उपयोग ऊपर बताइए की विधि के अनुसार उनके रोगों से मुक्त पाया जा सकता है। वैसे यदि इसकी खेती विद्युत तरीके से की जाए तो किसानों के लाभ के साथ-साथ प्रजा को भी लाभकारी साबित हो सकता है।
दुख से हृदय की कठोरता कम होती है। दुख वस्तुतः एक प्रकार का ताप है दुख से अभिमान का दमन होता है। इससे साहस और धैर्य बढ़ता है। एवं दूसरों के लिए अनुभूति पनपति है।