औषधीय पौधों का परिचय :- यह एक उन्नत शाखित एक वर्षीय जुल्म जिसका कांड चौरस हरे रंग का इसकी शाखाएं पतली विपरीत पत्र हरे तथा भलाकर पत्रग्राहक व नोकदर पत्र किनारी तरंगित होती है, पुष्प छोटे श्वेत सफेद कलर गुलाबी रंग के होते हैं। यह पौधा एकेन्थेशी (वास ) कुल का है। बाजार में ही है देसी चिरायता के नाम से बेचा जाता है।
विभिन्न भाषा में इसके नाम :- संस्कृत में भूनिब ,बंगाली में कालमेघ, गुजराती में करियातु, तेलुगु में नेलवेमू ,फारसी में नैनेहवनंदि, अंग्रेजी में क्रेट ( Creat)इस औषधि के पौधों की उत्पत्ति भारत की है।
पौधों से प्राप्त तत्व :- इसके पंचांग में पाए जाने वाले मुख्य रासायनिक तत्व एंडोग्राफोलिड (Andrographolid) तथा कलमेघिन जो तिक्त होते हैं। यह तत्व ही औषधि हैं।
कालमेघ के फायदे :- कालमेघ पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में उपयोग किए जाने वाला एक महत्वपूर्ण पौधा हैं। इसका उपयोग कई सारी बीमारियों में किया जाता हैं। खासकर इसका उपयोग भारत में उत्तर प्रदेश से लेकर केरल तथा बांग्लादेश पाकिस्तान और सभी दक्षिणी पूर्व एशियाई देशों में यहाँ अपने आप उगता हैं। इसे संजीवनी वटी पौधे के तौर पर उगाया जाता है इस पौधे के सभी हिसासे कड़वे होते हैं जिसके कारण इस पौधे को कड़वाहट का राजा भी कहा जाता हैं। कालमेघ का उपयोग खून साफ करने वाली कड़वी जड़ी बूटी के तौर पर होता है इसमें मौजूद खून साफ करने के गुण के कारण पारंपरिक चिकित्सा में इसका उपयोग कुष्ठ रोग ,गोनोरिया, खरोच, फोड़, त्वचा विकार आदि के लिए कालमेघ से इलाज किया जाता हैं। इसका काडा लीवर की बीमारी और बुखार ठीक करने में उपयोगी है।
कब्ज गैस आदि :- लिवर, अपचां ,कब्ज, एनोरेक्सिया, पेट में गैस आदि और दस्त आदि में इसके काढ़ा का उपयोग किया जाता है मासिक धर्म के दौरान खून के अधिक स्रोत को रोकने के लिए इसकी ताजी पत्तियों के रस का सेवन बेहत लाभकारी होता है।
बुखार के लिए कालमेघ का उपयोग :- कालमेघ औषधि गुना से भरपूर छोटा सब होता है इसका उपयोग मुख्य रूप से मधुमेह और डेंगू बुखार के इलाज के लिए किया जाता है यह बूटी तमिलनाडु में बहुत प्रसिद्ध है जिसे वहां नीलवेबू काष्यम भी कहते है इसका उपयोग डेंगू और चिकनगुनिया बुखार के इलाज के लिए किया जाता हैं।
डायबिटीज के लिए उपयोगी : इसका उपयोग डायबिटीज की समस्या से बचने के लिए भी किया जाता है दरअसल कालमेघ में एंटी डायबेटिक गुण पाए जाते हैं जो कि डायबिटीज की स्थिति में आपको सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं
हृदय स्वास्थ्य के लिए :- हृदय को स्वस्थ को बनाए रखने के लिए कालमेघ का सेवन किया जा सकता हैं। इसे इसलिए मुमकिन है क्योंकि कालमेघ में एंटीथ्रांबोटिक (Antithrombotic Action रक्त का थक्का रोकने के लिए क्रिया ) एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार यह बताया गया है कि यह क्रिया धमनियों को पतला कर रक्त प्रभाव को काफी सुधार कर सकती हैं। इससे हृदय रोग के होने का खतरा कम होता हैं।
कैंसर की स्थिति में :- कैंसर की स्थिति में और इसके कारण होने वाले जोखिम से बचने के लिए भी कल में के पौधों का इस्तेमाल किया जा सकता है ऐसा इसलिए मुमकिन है क्योंकि इसमें एंटी कैंसर बन पाया जाता हैं।
इसके साथ-साथ कालमेघ में एंड्रोग्राफोलाइड (Andrographolide) नमक बियोएक्टिव भी पाए जाते हैं, जो ल्युकेमिया (Leukemia )_ एक प्रकार का ब्लड कैंसर, स्तन कैंसर फेफड़ों के कैंसर और मेलोनोमा कोशिकाओं (melanoka cells कैंसर का एक प्रकार) सहित अन्य विभिन्न तरह के कैंसर से बचाव करने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करता हैं।
त्वचा के लिए :- कालमेघ एक प्राकृतिक तत्व है जो त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो त्वचा को ताजगी प्रदान करते हैं और रूखी हुई त्वचा को मुलायम बनाती है। कालमेघ दाद, खाज-खुजली आदि से त्वचा की रक्षा करता है, उसे नमी प्रदान करता है। यह त्वचा को सुंदर और स्वस्थ बनाए रखता है। इसके लिए प्रभावित त्वचा पर कालमेघ पत्तियों को पीसकर लेप लगाएं। इसे रात को सोने से पहले लगाना अधिक फायदेमंद होता है। इसके अलावा इसके 1-1 टैबलेट या कैप्सूल भी लिया जा सकता है।
बुखार में उपयोग :- सामान्य कालमेघ बुखार में का उपयोग बहुत ही लाभदाय होता है। कालमेघ में विशेष तत्व होते हैं जो शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और बुखार को कम करने में मदद करते हैं। कालमेघ में एंटीऑक्सिडेंट्स , एंटीबैक्टिरियल, एंटीवाइरल गुण होते हैं जो बुखार को कम करते हैं। बुखार से छुटकारा पाने के लिए कालमेघ के पंचांग के काढ़े का दिन में 2-3 बार बुखार ठीक न होने तक सेवन करें। एक बार में 20-30 मिलीलीटर काढ़ा पी लें।
गठिया में लाभदायक :- कालमेघ गठिया में लाभदायक है। इसमें विटामिन सी, बी, डी, फोलिक एसिड तथा अन्य आवश्यक तत्व पाए जाते हैं, जो गठिया के लिए उपयुक्त हैं। यह जोड़ों के दर्द को कम करने, सूजन को घटाने, गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। कालमेघ का उपयोग मात्रा व्यक्ति की स्थिति और उम्र के आधार पर भिन्न हो सकता है। आमतौर पर वयस्कों के लिए कालमेघ के 1-1 कैप्सूल को गुनगुने पानी के साथ सुबह-शाम सेवन की सलाह दी जाती है। इसके अलावा कालमेघ के तेल को जोड़ों पर मालिश करना भी लाभदायक होता
कालमेघ के नुकसान – Side Effects of Kalmegh in हिंदी
कालमेघ के नुकसान कुछ इस प्रकार हैं
- इसका अत्यधिक मात्रा में किया गया सेवन एलर्जी उत्पन्न कर सकता है।
- दूसरी दवाओं के साथ कालमेघ का सेवन इंरैक्ट कर सकता है। इसलिए यदि आप किसी दवा का सेवन कर रहे हैं तो कालमेघ को लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श लें।
- कालमेघ का अधिक सेवन लो बीपी और लो शुगर का कारण बन सकता है। इसलिए समय समय पर बीपी और शुगर लेवल मॉनिटर करते रहें।
- इसके अधिक सेवन से भूख में कमी आ सकती है।
- गर्भावस्था और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कालमेघ चूर्ण के सेवन से बचने की सलाह दी गई है।
कालमेघ का पौधा, जिसे अभी तक आप एक जंगली पौधा समझ रहे होंगे, उसके फायदों को जानने के बाद अब आप इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके सेवन से जुड़ी मात्रा के बारे एक बार आहार विशेषज्ञ से जरूर मिलें। कालमेघ के स्वास्थ्य फायदों को पढ़ने के बाद अगर आपको या आपके किसी करीबी को इसके सेवन से कोई लाभ मिलता है, तो उसका अनुभव हमारे साथ जरूर शेयर करें। इसके अलावा, अगर आपके मन में कालमेघ से जुड़ा कोई सवाल हो तो आप कॉमेंट बॉक्स द्वारा बेझिझक हमारे साथ साझा करें।